हा नटवर!
देखो तो, तुम्हारे बिना बेचारे ग्वाल-बाल
चुपचाप उदास बैठे हैं।
ये भला, शान्ति से बैठने वाले थे?
खेलने के लिये कम नहीं हैं,
पंद्रह-बीस हैं। किंतु
एक तुम्हारे न होने से इन्होंने खेलना छोड़ दिया।
सबका चेहरा उतरा हुआ है।
चलूँ, इन्हें मक्खन खिलाकर
कुछ देर इन्हीं के साथ बातें करूँ।
अरे छोरों!
तुम चुपचाप क्यों बैठे हो?
कुछ खेलते नहीं?
लो, यह हाँड़ी भर मक्खन है,
आपस में बाँटकर खा लो।