तो इसको रख कर खराब क्यों करूँ,
चलूँ, किसी को खिला दूँ।
उनसे कह दूँगी कि
इकट्ठा करके रक्खा हुआ सब मक्खन बिल्ली खा गयी।
थोड़ा बिगड़ लेंगी, और क्या होगा,
पर मुझसे घी तो न बनेगा!
वे ही आयेंगी तो बना लिया करेंगी।
अरे, हाँड़ी तो भर गयी,
इसमें कई बालक खा सकते हैं।
गाँव में किसी को देना ठीक नहीं।
ऐसा करने से मैं सास जी से बहाना न कर सकूँगी।
चलूँ बन की ओर,
वहाँ ग्वाल-बाल गाय चराते होंगे,
उन्हीं को खिला दूँ।