बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 35

बावरी गोपी -प्रेम भिखारी

6. कल आयेंगे

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पीछे से जाकर चितचोर की आँखें बंद कर लूँगी।
वे अकचका जायँगे,
पहचान तो पायेंगे नहीं,
मैं भी जल्दी न खोलूँगी।
जब बहुत गिड़गिड़ायेंगे और क्षमा माँगेंगे तब खोलूँगी।
शायत उस कोने में हैं।
अरे, यहाँ तो नहीं है।
उस कुंज में होंगे।
हाय, यहाँ भी नहीं हैं।
तो उस कुंज में होंगे।
आह, यहाँ भी नहीं दीखते।
भला उस कुंज में तो चलूँ शायद उसी में हो।
पागल मन!
यहाँ भी तो नहीं मिले।
हाय मेरे मन!
तनिक तो बैठने दे,
बहुत थक गयी हूँ।
तो क्या कन्हैया नहीं आये?

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बावरी गोपी -प्रेम भिखारी
क्रम संख्या पाठ का नाम पृष्ठ संख्या
1. कल की बात 1
2. क्या मैं बावरी हूँ? 6
3. मेरी ही भूल थी 11
4. और कूक 18
5. कैसे थे वे दिन? 23
6. कल आयेंगे 29
7. रे भौंरे, मत गूँज 37
8. इस मक्खन का क्या करूँ? 44
9. हाय, यह तो स्वप्न था 52
10. कूबरी, तुझे धिक्कार है 58
11. कूबरी! तू धन्य है 64
12. कुछ न कहना 69
13. मैं भली कि मछली 75
14. कोई तो बताये 83
15. सुनाऊँ किसको मनकी बात 90
16. यह है प्रेम-परिणाम 98
17. यही आशा तो बैरिन हो गयी 105
18. बस, एक झलक 112
19. मैं तो चली पिया की डागरिया 119

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