अच्छी कही तूने,
वे चुपके से आये हैं, किसी को बताना नहीं चाहते।
और तुझे उनकी बात मालूम हो गयी?
क्यों, है न यही तात्पर्य?
तो इसका अर्थ यह हुआ कि
सारे ब्रज में मैं ही एक भाग्यशालिनी हूँ
जिसे उनके आने का पता चल गया।
मैं जाकर उनके दर्शन कर आऊँगी
और दूसरी गोपियाँ यों ही रह जायँगी,
यही कहता है न?
वाह रे मेरा भाग्य!
तुझे क्या कहूँ।
अप्रसन्न मत हो मन!
तेरे कहने से मैं चलूँगी अवश्य;
किंतु और किसी को खबर न करूँगी।
क्योंकि कहीं वे वहाँ न हुए तो
व्यर्थ में बेचारियों को कष्ट होगा।
उनके घावपर नमक और पड़ जायगा।