बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 28

बावरी गोपी -प्रेम भिखारी

5. कैसे थे वे दिन?

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सोचती रही कि क्या यह ठीक कहती है।
हा प्यारे!
मुझसे तो ये ही अच्छी हैं, जिन्हें वे दिन याद तो हैं।
मैं सब ओर से गयी।
कभी तुम्हारे साथ नाचती-खेलती थी,
यह भी याद नहीं आता,
नहीं तो स्मरण कर-करके हा!
जीको कुछ हलका करती।
और किससे कहूँ,
तुम्हीं आकर बता दो प्राणनाथ!
कैसे थे वे दिन?
(संज्ञा शून्य हो जाती है।)

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बावरी गोपी -प्रेम भिखारी
क्रम संख्या पाठ का नाम पृष्ठ संख्या
1. कल की बात 1
2. क्या मैं बावरी हूँ? 6
3. मेरी ही भूल थी 11
4. और कूक 18
5. कैसे थे वे दिन? 23
6. कल आयेंगे 29
7. रे भौंरे, मत गूँज 37
8. इस मक्खन का क्या करूँ? 44
9. हाय, यह तो स्वप्न था 52
10. कूबरी, तुझे धिक्कार है 58
11. कूबरी! तू धन्य है 64
12. कुछ न कहना 69
13. मैं भली कि मछली 75
14. कोई तो बताये 83
15. सुनाऊँ किसको मनकी बात 90
16. यह है प्रेम-परिणाम 98
17. यही आशा तो बैरिन हो गयी 105
18. बस, एक झलक 112
19. मैं तो चली पिया की डागरिया 119

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