बाम सँग स्याम त्रय जाम जागे -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग गुंडमलार


बाम सँग स्याम त्रय जाम जागे।
कोक-विद्या-निपुन, सकल गुन मैं सँपन, सुरतसंग्राम जुरि नहीं भागे।।
अंग आलस भरे, नैन निद्रा ढरे, नैंकु सज्या परे निसा बीती।
'सूर' प्रभु नंदसुत चले अकुलाइ कै, गए ता घाम रसकाम जीती।।2500।।

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