बांधौं आजु कौन तोहिं छोरै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग सारंग



बाँधौं आजु कौन तोहिं छोरै।
बहुत लँगई कीन्‍हौ मोसौं, भुज गहि रजु ऊखल सौं जोरै।
जननी अति रिस जानि बँधायौ, निरखि बदन, लोचन जल ढोरै।
यह सुनि ब्रज-जुवतीं सब धाई कहति कान्‍ह अब क्‍यौं नहिं छोरै।
ऊखल सौं गहि बाँधि जसोदा, मारन कौं साँटी कर तोरै।
साँटी देखि ग्‍वालि पछितानी, विकल भई जहँ-तहँ मुख मोरै।
सुनहु म‍हरि ऐसी न बूझिऐ सुत बाँधति माखन दधि थोरैं।
सूर स्‍याम कौं बहुत सतायौ, चूक परी हम तैं यह भोरैं।।344।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः