बहु जुग बहुत जोनि फिरि हारौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

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राग देशी खमाच - ताल त्रिताल

बहु जुग बहुत जोनि फिरि हारौ।
अब तौ एक भरोसो तिहारौ॥
जद्यपि कुटिल, कामरत, पापी।
तदपि गुलाम सदा हौं तिहारौ॥
जा‌उँ कहाँ तव चरन बिहा‌ई।
लीन्हौ प्रभु-पद-कमल-सहारौ॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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