बनी राधे काजर की रेख -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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राग गूजरी




बनी राधे काजर की रेख।
चारु चिबुक मुदरी पिउ मोहन लै दरपन मुख देख।।
मुकुता पति कपोत कोक कर इंदुक बदन बिसेष।
हिरदय तै न टरै कुंज बिहारी चारु गवने निसेस।।
आरत भए अनत रोइ कै थर थर कॉप्यौ सेष।
'सूरदास' लीला सागर बिसरत नाहिं निमेष।। 39 ।।

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