बंदे बंदगि मत भूल -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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राग कनड़ी





बंदे बंदगि मत भूल ।।टेक।
चार दिना की करले खूबी, ज्यूँ दाड़िमदा फूल।
आया था ए लोभ के कारण, मूल गमाया भूल।
मीराँ के प्रभु गिरधर नागर, रहना है बे हजूर ।।198।।[1]




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बंदे = सेवक या भक्त। वंदगी = ईश्वरराराधन। चार... खूबी = चंदरोज़ के लिए अपने गुण दूसरों पर प्रकट कर ले। द्राड़िमदा = अनार का। दा = का। ए = अय, अरे। मूल = मुख्य बात। भूल = धोखे में आकर। वे = अरे। हजूर = सामने, दर्बार में।

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