प्राणपति विहरत श्री यमुना कूले -चतुर्भुजदास

प्राणपति विहरत श्री यमुना कूले -चतुर्भुजदास

Prev.png



प्राणपति विहरत श्री यमुना कूले ।
लुब्ध मकरंद के भ्रमर ज्यों बस भये, देखि रवि उदय मानो कमल फूले ॥1॥
करत गुंजार मुरली जु ले सांवरो, सुनत ब्रजवधू तन सुधि जु भूले ।
चतुर्भुज दास श्री यमुने प्रेमसिंधु में लाल गिरिधरनवर हरखि झूले ॥2॥

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः