प्रभु मैं पीछौ लियौ तुम्‍हारौ -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

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राग सोरठ



प्रभु मैं पीछौ लियौ तुम्‍हारौ।
तुम तौ दीनदयाल कहावत, सकल आपदा टारौ।
महा कुबुद्धि, कुटिल, अपराधी, औगुन भरि लियौ भारौ।
सूर कूर की याही बिनती, लै चरननि मैं डारौ।।218।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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