प्रभु जी थे कहां गया नेहड़ी लगाय -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

Prev.png
विरहानुभव

राग दरबारी


प्रभु जी थे कहाँ गया नेहड़ी लगाय ।। टेक ।।
छोड़ गया विस्‍वास सँगाती, प्रेम की बाती बराय ।
बिरह समँद में छोड़ गया छो, नेह की नाव चलाय ।
मीराँ के प्रभु कबर मिलोगे, तुम बिनि रह्योइ न जाय ।।66।।[1]

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. थे = तू। नेहडी = नेह, प्रेम। विस्वास = विश्वासपात्र। संगाती = साथी। वाती बराय = ( विरह की ) आग जलाकर। समंद = समुद्र। छौ = हो। कबर = अरे कब। रह्योइ = रहाही।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः