प्रगटीं अनूप भूप -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा-कृष्ण-जन्म-महोत्सव एवं जय-गान

Prev.png
राग झिंंझोटी - ताल दादरा


प्रगटीं अनूप भूप, भानु-घर दुलारी।
राधा शुचि मधुर-मधुर, कीर्ति-कुमारी॥
चंद्र-बदन-कमल मधुर, उभय हस्त-कमल मधुर।
बिसद नयन-कमल मधुर, आनँद बिस्तारी॥
अरुन चरन-कमल मधुर, भौंह मधुर, भाल मधुर।
अधरनि मुस्कान मधुर, मोहनी मुरारी॥
जन्म मधुर, कर्म मधुर, लीला अति ललित मधुर।
भाव मधुर, चाव मधुर, सरबस बलिहारी॥
त्याग की सुनीति मधुर, प्रेम की सुरीति मधुर।
‘तत्सुख सुख’ प्रीति मधुर, माधव-मनहारी॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः