प्रकट हु‌ए थे धराधाम में -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा-कृष्ण-जन्म-महोत्सव एवं जय-गान

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राग भैरवी - तीन ताल


प्रकट हु‌ए थे धराधाम में पूर्ण परात्पर श्रीभगवान।
परम दिव्य ऐश्वर्य-निकेतन, सुन्दरता-मधुरता-निधान॥
दुष्ट को निज धाम भेजकर, साधु-जनों का कर उद्धार।
किया धर्म का संस्थापन था, लेकर स्वयं दिव्य अवतार॥
वही पुण्य तिथि भाद्र-‌अष्टमी, कृष्णपक्ष मंगलमय आज।
सुरभित श्रद्धा-सुमन-राशि से सभी सजाकर मंगल साज॥
नन्दालय में आज महोत्सव वही हो रहा मधुर विशाल।
शीघ्र बुझा देगा जो भव-दावानल सहसा अति विकराल॥
हम भी सब मिल आज मनायें वही महोत्सव मंगलरूप।
भोगासक्ति-विनाशक, भव-बाधा-हर, दायक-प्रेम अनूप॥
प्रेम कृष्ण का, प्रेम कृष्ण में, स्वयं कृष्ण ही निर्मल प्रेम।
हमें मिले, बस, एकमात्र वह, वही हमारा योग-क्षेम॥
कृष्ण-नाम-गुण गा‌ओ अविरत प्रेमसहित नाचो तज लाज।
बनो कृष्णभक्त के भक्त के अनुगामी सहित समाज॥
मधुर मनोहर मंगलमय श्रीराधा-माधव का सब काल।
करते रहो स्मरण नित संतत, पल-पल होते रहो निहाल॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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