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पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार
प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व
दोहा
प्यारे! हँसो, रहो ही हँसते तुमको खूब हँसायें हम। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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दोहा
प्यारे! हँसो, रहो ही हँसते तुमको खूब हँसायें हम। |