पिय तेरै बस यौ री माई।
ज्यौ संगहिं सँग छाँह देहबस, प्रेम कह्यौ नहि जाई।।
ज्यौ चकोर बस सरद चंद्र कै, चकवाक बस भान।
जैसै मधुकर कमल-कोस-बस, त्यौ बस स्याम सुजान।।
ज्यौ चातक बस स्वाति बूँद कै, तन कै बस ज्यौ जीय।
'सूरदास' प्रभु अति बस तेरै, समुझि देखि धौ हीय।।2069।।