पिय तेरै बस यौ री माई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग धनाश्री


पिय तेरै बस यौ री माई।
ज्यौ संगहिं सँग छाँह देहबस, प्रेम कह्यौ नहि जाई।।
ज्यौ चकोर बस सरद चंद्र कै, चकवाक बस भान।
जैसै मधुकर कमल-कोस-बस, त्यौ बस स्याम सुजान।।
ज्यौ चातक बस स्वाति बूँद कै, तन कै बस ज्यौ जीय।
'सूरदास' प्रभु अति बस तेरै, समुझि देखि धौ हीय।।2069।।

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