मीराँबाई की पदावली
पिया तेरे नाम लुभाणी हो ।।टेक।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ लुभाणी = लुभाई हुई हूँ। तिरना = तरजाना, पार पा जाना। जैसे...पाणी = जिस प्रकार पानी पर पत्थर। सुकिरत = शुभकर्म, पुण्यकार्य। करम कुमाणी = अशुंभ कर्म व पाप किये। गणिका = वेश्या भक्त। कीर पढ़ावताँ = तोता पढ़ाती-पढ़ाती। वसाणी = बस गई। अरध = अर्ध, आधा। कुंजर = हाथी, भक्त गजेन्द्र। अवण = अवधि, आवागमन का काल। पसु जूण = पशुयोनि। अजामेल = अजामिल भक्त। हेते = कारण। दियो = उपदेश किया। परतीत पिछाणी = विश्वास कर लिया।
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