पिता

पिता शब्द ऋग्वेद तथा परवर्ती साहित्य में उत्पन्न करने वाले की अपेक्षा शिशु के रक्षक के अर्थ में अधिक व्यवहृत हुआ है। ऋग्वेद में यह दयालु एवं भले अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। अतएव अग्नि की तुलना पिता से की गई है। ब्रह्म वैवर्त पुराण के उल्लेखानुसार ब्रह्मा जी ने कहा था। 'पिता', तात और जनक – ये शब्द 'जन्मदाता' के अर्थ में प्रयुक्त होते हैं। [1]



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ब्रह्म वैवर्त पुराण पृ. 37

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