पार्थ सारथि -सुदर्शन सिंह 'चक्र'
9. प्रथम-मिलन
अर्जुन ने जो लक्ष्य वेधन का कौशल प्रदर्शित किया तथा भीमसेन के साथ जो पौरुष उन्होंने दिखलाया, वह पाण्डु पुत्रों के अतिरिक्त और किसी में मिलना सम्भव नहीं है। दुर्योधन और उसके मन्त्री पुरोचन की दुरभि-सन्धि व्यर्थ हो गयी, इस पर दोनों भाइयों ने प्रसन्नता प्रकट की। द्रुपद कैसे उदासीन रह सकते थे। एक अज्ञात कुलशील व्यक्ति उनकी प्रतिज्ञा पूरी करके उनकी कन्या ले गया था। अत: उन्होंने अपने पुत्र को सेवकों के साथ पता लगाने भेज दिया था। धृष्टद्युम्न के प्रयत्न से सन्देह हो गया कि द्रौपदी को ले जाने वाले क्षत्रिय कुमार हैं। राज-भवन में आमन्त्रित करके पूछने पर परिचय हो गया। द्रुपद ने भगवान व्यास के समझाने पर पांचों भाइयों के साथ अपनी कन्या विवाह दी। श्रीकृष्णचन्द्र ने प्रचुर धन, मणि आदि भेंट किया धर्मराज को। |
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