पार्थ सारथि -सुदर्शन सिंह 'चक्र'
77. अश्वत्थामा को शाप
वहाँ कोई नहीं था जिसने देवी देवकी को तब देखा हो जब कंस के कारागार में वे बन्दिनी थीं और वासुदेव जी के स्पर्श से उनमें अच्युतांश आया था। अन्तर्वतनी देवकी को देखने वाले होते वहाँ तो वे अवश्य समझ जाते कि उसी अच्युतांश को उपलब्ध करके उत्तरा भी धन्य हो गयी है। यह तो उत्तरा के गर्भ में स्थित परीक्षित ने देखा था कि एक महातेज उन्हें दग्ध करने पहुँचा ही था कि अचानक एक कमल-लोचन, चतुर्भुज नवघन सुन्दर, पीताम्बर परिधान, अंगुष्ठ परिमाण ज्योतिर्मय अदभुत पुरुष वहाँ गर्भ में आ गया। वह उत्तरा के गर्भ में आया पुरुष– परीक्षित के पश्चात माता के उस उदर में आया उनका अनुज – अत्यन्त तीव्रवेग था। उल्मुक के समान वह अपने हाथ की गदा घुमाते परीक्षित के चारों ओर अविराम घूमने लगा। उसकी गदा इतनी तेजोमय कि वह भस्म करने को बढ़ा आता तेज गदा के तेज के पास आकर अन्धकार जैसा लगता था। अथक था वह तेज। वह प्रध्वन्स को धावित तेज असह्य था और पता नहीं कितना अगाध था; किन्तु यह गदा घुमाता चारों ओर घूमने वाला अत्यन्त सुकुमार सुन्दर अंगुष्ठ जितना बड़ा पुरुष भी थकने वाला नहीं था। यह भी उसी तीव्र गति से बराबर घूमता ही रहता था। उत्तरा को यह सब कुछ पता नहीं था। उसको तो एक अनिर्वचनीय सुधाधारा ने परिलुप्त कर दिया था। वह ऐसे आह्लादकारी स्पर्श का अपने भीतर अनुभव करके विभोर हो उठी थी कि वह किसी भी प्रकार वाणी में नहीं आ सकता। उसका सन्तुष्ट, स्मितशोभित श्रीमुख और अलौलिक कान्ति, पाण्डवों को, द्रौपदी को, सुभद्रा को, सभी को आश्वस्त कर चुकी थी। उस बालिका ने पुन: पृथ्वी में मस्तक रखकर प्रणाम किया अपने श्वसुर तुल्य श्रीकृष्ण को और वहाँ से संकोचपूर्वक चली गयी। श्रीकृष्ण तुरन्त अपने रथ में बैठे। वन में भगवान व्यास वहाँ अश्वत्थामा के सामने खड़े थे, वहाँ उतरे रथ से और अश्वत्थामा से अत्यन्त कठोर स्वर में बोले– विप्राधम ! महाराज विराट की पुत्री उत्तरा जब उपप्लव्य नगर में थी तो एक तपस्वी ब्राह्मण ने उसे आशीर्वाद दिया था कि- 'वत्से ! तेरी कुक्षि से कुरुवंश के क्षय हो जाने पर उसका वंशधर उत्पन्न होगा।' उस उत्तम ब्राह्मण की बात असत्य नहीं होगी।' अश्वत्थामा बिगड़कर बोला– ‘आप सर्वशक्तिमान अवश्य हैं और आपने पाण्डवों पर प्रयुक्त मेरे अस्त्र को व्यर्थ कर दिया; किन्तु मेरे इस अस्त्र को आप भी व्यर्थ नहीं कर सकते। यह उत्तरा के गर्भ को अवश्य नष्ट कर देगा।' |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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