पार्थ सारथि -सुदर्शन सिंह 'चक्र'
75. अश्वत्थामा से रक्षा
भगवान शिव ने ही उसे अमरत्व का वददान दिया था। अग्नि उनकी एक मूर्ति ही हैं। अत: अग्नि से अश्वत्थामा भस्म नहीं हो सकता था। उसके इस शरीरार्पण से वे महाकाल प्रसन्न हो गये। उनके यहाँ आने का उद्देश्य भी पूरा हो रहा था। उन्होंने अश्वत्थामा को माध्यम बनाना निश्चित किया। उसे अग्नि से उठाया। एक तलवार दी और स्वयं उसके शरीर में रात्र-भर के लिये आविष्ट हो गये। अश्वत्थामा ने कृपाचार्य और कृतवर्मा को बाहर नियुक्त किया– 'जो भी भागने का प्रयत्न करे, उसे आप दोनों मार दें।' स्वयं अश्वत्थामा शिविर में चला गया। वैसे ही वह निसर्गक्रूर था और इस समय तो उसमें रुद्रावेश था। शिविर में महासंहार उस रात्रि वह करता रहा। किसी भागते, हाथ जोड़ते पर भी उसने कृपा नहीं की। सेवकों तक को वह मारता गया। उसने देखा ही नहीं कि कौन सेवक है और कौन सैनिक है। कृपाचार्य, कृतवर्मा ने शिविर में आग लगा दी। उस अग्नि के प्रकाश में भयंकर भूत के समान अश्वत्थामा संहार करता रहा। जिसने भी भागने का प्रयत्न किया, वह कृपाचार्य अथवा कृतवर्मा के हाथों मारा गया। रात्रि के तीसरे प्रहर के अन्त तक यह संहार चलता रहा। तीनों जब वहाँ से चले तो शिविर जल रहा था और वहाँ कोई जीवित नहीं बचा था। केवल धृष्टद्युम्न का सारथि किसी प्रकार कृतवर्मा की दृष्टि बचाकर निकल भागा था। तीनों वहाँ से सीधे दुर्योधन के समीप पहुँचे। अश्वत्थामा ने बड़े गर्व से पाण्डव-शिविर में सबको मार देने का अपना पराक्रम सुनाया। दुर्योधन प्रसन्न हुआ- 'आचार्य-पुत्र ! धन्य हैं आप। आपने हमारे सब शत्रुओं को समाप्त कर दिया। मेरा प्रतिशोध पूरा कर दिया आपने।' अश्वत्थामा ने कहा- 'श्रीकृष्ण, सात्यकि तथा पाण्डवों के साथ वहाँ होते तो मैं कदाचित सफल नहीं होता। मैंने पाञ्चालों को ही नहीं मारा, पाञ्चालों के सभी पुत्रों को मारकर पाण्डवों का वंश समाप्त कर दिया।' 'हाय आचार्य-पुत्र ! तुमने हमें जल देने वाला भी कोई नहीं रखा !' दुर्योधन ने सिर पर हाथ पटक लिया। हर्ष और शोक के संगम में ही उसकी मृत्यु का विधान था। अत: इस समय दोनों के मिलने से उसके प्राण शरीर से विदा हो गये। 'अब राजा नहीं रहे।' कृपाचार्य ही पहले बोले- 'प्रयोजन भी पूरा हो गया। अत: अब न कोई सेना है, न सेनापति। अब हम तीनों स्वतन्त्र हैं। हमें पाण्डवों के क्रोध से अपनी रक्षा का स्वयं प्रबन्ध करना चाहिए।' |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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