पपीया रे पीवकी बानी न बोलि।
सुनि पावेगी बिरहनि रालैली पाँखाँ मरोड़ि। (टेर)
चोंच कटाऊँ पपीया रे, ऊपर कालो रे लोंण।
पीव हमारे मैं पीवकी रे, तू पीव कहै सो कौण।।1।।
थारा सबद सुहावणाँ रे, जै पीव मिलावै आज।
चोंच मँढाऊँ थारी सोहनी, तू म्हारै सिरताज।।2।।
पीतम कूँ पतियाँ लिखूँ, कागा तू ले जाइ।
पीतम कूँ तू यौं जाइ कहियौ, थारी विरहनि अन्न न खाइ।।3।।
तुम मति जानो पीतमा हो, तुम बिछड़्याँ मोहि चैंन।
मोहि चैंन जब होइगो, भरि भरि देखूँ नैंन।।4।।
मीराँ दासी वारणै हो, पिव पिव करत बिहाइ।
बेगि मिलौ प्रभु अन्तरजामी, तुम बिन रह्यो न जाइ।।5।।[1]
राग - देश मल्हार : ताल - झूमरा
(विरह)