मीराँबाई की पदावली
विरहोद्गार
राग सावनी कल्याण
पपइया रे पिव की बाणि न बोल ।।टेक।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वाणी = शब्द, बोली। पवेली = पवेगी। थारो = तेरो। रावैली डालेगी मरोड़ = ऐंठकर तोड़। चाँच = चोंच। कालर = कालारे। लूण = नमक। स = सो। कूण = कोना। थारा = तेरे। सबद = शब्द, बोली। मेला = मिलन। मढाऊँ = मढाऊँगी। सोननी = सोने से। सिरताज = आदरणीय। यूँ = यों, इस प्रकार। धान = धान्य, अन्न। रह्यौहि = रहा ही।
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