पद्म पुराण

पद्म पुराण, गीताप्रेस गोरखपुर का आवरण पृष्ठ

'पद्म पुराण' हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथों में विशाल पुराण है। केवल 'स्कन्द पुराण' ही इससे बड़ा है। इस पुराण के श्लोकों की संख्या पचास हज़ार है। वैसे तो इस पुराण से संबंधित सभी विषयों का वर्णन स्थान विशेष पर आ गया है, किन्तु इसमें प्रधानता उपाख्यानों और कथानकों की है। ये कथानक तीर्थों तथा व्रत सम्बन्धी नहीं हैं, वरन् पौराणिक पुरुषों और राजाओं से सम्बन्धित हैं। अन्य पुराणों में यही कथानक जिस रूप में प्राप्त होते हैं, यहाँ ये दूसरे रूप में हैं। ये आख्यान और उपाख्यान सर्वथा नवीन, विचित्र और सामान्य पाठकों को चमत्कृत कर देने वाले हैं।

वैष्णव पुराण

'पद्म पुराण' प्रमुख रूप से वैष्णव पुराण है। इस पुराण की मान्यता के अनुसार 'विष्णु' की उपासना का प्रतिपादन करने वाले पुराण ही सात्त्विक हैं। इस पुराण में प्रसंगवश शिव का वर्णन भी प्राप्त होता है। किन्तु यह वर्णन सम्प्रदायवाद से ग्रसित न होकर उत्तम रूप में प्रस्तुत किया गया है। यद्यपि त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश में उन्हें विष्णु से सर्वोच्च नहीं माना गया है। यदि इस पुराण को विष्णु की उपासना के कारण 'सात्त्विक' माना गया है तो ब्रह्मा की उपासना करने वाले पुराणों को 'राजस' श्रेणी में रखा गया हैं इसके अलावा शिवोपासना से सम्बन्धित पुराणों को 'तामस' श्रेणी का माना गया है, जैसे- 'शिव पुराण', 'लिंग पुराण', 'कूर्म पुराण', 'मत्स्य पुराण', 'स्कन्द पुराण' और 'अग्नि पुराण'।

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