पंढरपुर

पंढरपुर महाराष्ट्र राज्य का एक नगर और प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। बम्बई-पूना-रामचूर लाइन पर कुर्दूवाडी स्टेशन से मीरज लाइन पर पण्ढरपुर स्टेशन है। स्टेशन से पंढरपुर डेढ़ मील दूरी पर है। यहाँ कई धर्मशालायें तथा आश्रम हैं, जहाँ यात्री ठहर सकते हैं। −

मुख्य मंदिर

श्रीविट्ठल भगवान का मंदिर यहाँ का मुख्य मंदिर है। यह मंदिर बहुत विशाल है। निज मंदिर में श्रीपुण्डरीनाथ कमर पर हाथ रखे खड़े हैं। उसी घेरे में ही रुक्मिणीजी, बलरामजी, सत्यभामा, जाम्बवती तथा श्रीराधा के मंदिर हैं। मंदिर में प्रवेश करते समय द्वार के समीप भक्त चोखा मेला की समाधि है। प्रथम सीढ़ी पर ही नामदेवजी की समाधि है। द्वार के एक ओर अखा भक्ति की मूर्ति है।

अन्य दर्शनीय स्थल

चंद्रभागा नदी के किनारे चंद्रभागा तीर्थ, सोमतीर्थ आदि नदी में ही है। संत तुकाराम, नामदेव, रांका बांका आदि की यह निवास भूमि है। यह नगर भीमा नदी के तट पर है। यहाँ नदी को चंद्रभाग कहते हैं। यहाँ अनेक मंदिर हैं। इसे नारद मुनि की रेती कहते हैं। यहाँ नारदजी का मंदिर है। यहाँ गोपालजी, जनाबाई, एकनाथ, महादेव, ज्ञानेश्वर तथा तुकारामजी के मंदिर हैं। यहाँ श्रीविट्ठल मंदिर में यात्री भगवान के श्रीविग्रह के चरणों पर मस्तक रखता है। पंढरपुर में कोदण्डराम तथा लक्ष्मी-नारायण के मंदिर हैं। चंद्रभागा के पार श्रीवल्लभाचार्य महाप्रभु की बैठक है। यहाँ से 3 मील दूर एक गाँव में जनाबाई का मंदिर है और वह चक्की भी है, जिसे भगवान ने चलाया था।

पौराणिक कथा

भक्त पुण्डरीक माता-पिता के परम सेवक थे। वे माता-पिता की सेवा में लगे थे, उस समय श्रीकृष्णचंद्र उन्हें दर्शन देने पधारे। पुण्डरीक पिता के चरण दबाते रहे। भगवान को खड़े होने के लिए उन्होंने ईंट सरका दी; किंतु उठे नहीं। भगवान कमर पर हाथ रखे ईंट पर खड़े रहे। सेवा से निवृत्त होने पर पुण्डरीक ने भगवान से इसी रूप में यहाँ स्थित रहने का वरदान मांग लिया।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

हिन्दूओं के तीर्थ स्थान |लेखक: सुदर्शन सिंह 'चक्र' |पृष्ठ संख्या: 188 |


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