नैन स्यामसुख लूटत हैं।
यहै बात मोकौ नहि भावे, हम तै काहै छूटत हैं।।
महा अछयनिधि पाइ अचानक, आपुहि सबै चुरावत है।
अपने है तातै यह कहियत, स्याम उन्हें भरहावत है।।
यह संपदा कहौ क्यौ पचिहे, बाल सँघाती जानत है।
'सूरदास' जौ देते कछु इक, कहौ कहा अनुमानत है।।2327।।