नैन स्यामसुख लूटत हैं -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग भैरव


नैन स्यामसुख लूटत हैं।
यहै बात मोकौ नहि भावे, हम तै काहै छूटत हैं।।
महा अछयनिधि पाइ अचानक, आपुहि सबै चुरावत है।
अपने है तातै यह कहियत, स्याम उन्हें भरहावत है।।
यह संपदा कहौ क्यौ पचिहे, बाल सँघाती जानत है।
'सूरदास' जौ देते कछु इक, कहौ कहा अनुमानत है।।2327।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः