नैन करत घरही की चोरी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग गौरी


नैन करत घरही की चोरी।
चोरन गए स्याम-अँग-सोभा, उत सिर परी ठगोरी।।
अपबस करि इनकौ हरि लीन्हौ, मो तन फेरि पठायौ।
जो कछु रही संपदा मेरै, सुधि बुधि चोरि लिवायौ।।
ये धाए आए निधरक सौ लै गए संग लगाइ।
'सूर' स्याम ऐसे है माई, उलटी चाल चलाइ।।2377।।

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