नैना हाथ न मेरै आली।
इत ह्वै गए ठगौरी लावत, सुंदर कमल नैन बनमाली।।
वे पाछै ये आगै धाए, मैं बरजति बरजति पचिहारी।
मेरै तन वै फेरि न चितए, आतुरता वह कहौ कहा री।।
जैसै बरत भवन तजि भजियै, तैसेहिं गए फेरि नहि हेरौ।
'सूर' स्याम रस रसे रसीले, पय पानी को करै निबेरौ।।2250।।