नैना मेरे तलफि तलफि भए राते -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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नैना मेरे तलफि तलफि भए राते।
खग मृग मीन भरे पद पिंजरनि, न तरु मधुवन उड़ि जाते।।
करि सुनि सुरति स्याम सुंदर की, उमँगि चले धुरवा ते।
'सूरदास' प्रभु तुम्हरे मिलन कौ, बरषत है बरषा से।। 154 ।।


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