नैना बीधे दोऊ मेरे -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग


नैना बीधे दोऊ मेरे।
मानौ परे गयद पक महि, महा सबल बल केरे।।
निकसत नाहिं अधिक बल कीन्है, जतन न बनै घनेरे।
स्यामसुँदर के दरस परस तै, इत उत फिरत न फेरे।।
लंपट लौन हटक नहि मानत, चंचल चपल अरे रे।
'सूरदास' प्रभु निगम अगम सत, सुनि सुमिरत बहुतेरे।।2279।।

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