नैना नीकै उनहि रए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सोरठ


नैना नीकै उनहि रए।
मन जब गयौ नही मैं जान्यौ, ये दोउ निदरि गए।।
ये तौ भए भावते हरि के, सदा रहत इन माही।
कर मीडति, सिर धुनतिं नारि सब, यह कहि कहि पछिताही।।
मूरख कै ज्यौ बुद्धि पाछिली, हमहूँ करि दियौ आगै।
अब तौ मिले 'सूर' के प्रभु कौ, पावति हौ अब माँगै।।2233।।

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