नैननि देखिवे की ठौरि -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग नट


नैननि देखिवे की ठौरि।।
नंद-गोप-कुमार सुंदर, किये चंदन खौरि।।
सीस पीड़ सिखंड राजत, नख सिखहिं छवि औरि।
सुभग गावनि, मृदु बजावनि बेनु, ललित सु गौरि।।
कुटिल कच मृगमद-तिलक-छवि, वचन मंत्र ठगौरि।
'सूर' प्रभु नट रूप नागर, निरखि लोचन बौरि।।2295।।

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