निरवद्य का उल्लेख पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। महाभारत के अनुसार ये ऐश्वर्य आठ प्रकार के होते थे- अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व और लघिमा, गरिमा (कामावस्यायिता) थे तथा इनसे ही तीन प्रकार के अन्य ऐश्वर्य उत्पन्न हुए थे, जिनमें से 'निरवद्य' एक हैं।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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