नित्यानन्द

नित्यानंद चैतन्य महाप्रभु के प्रमुख सहयोगी थे। वे पहले मध्व और फिर चैतन्य के प्रभाव में आये थे। चैतन्य सम्प्रदाय की व्यवस्था का कार्य इन्हीं के कंधों पर था, क्योंकि चैतन्य स्वयं व्यवस्थापक नहीं थे।

  • महाप्रभु चैतन्य के परलोक गमन के बाद भी नित्यानंद ने सम्प्रदाय की व्यवस्था सुरक्षित रखी तथा सदस्यों के आचरण के नियम बनाये।
  • नित्यानंद के बाद इनके पुत्र वीरचंद्र ने पिता के भार को सम्भाला।
  • चैतन्य स्वयं शंकराचार्य के दसनामी संन्यासियों में से भारती शाखा के संन्यासी थे, किंतु नित्यानंद तथा वीरचंद्र ने सरल जीवन यापन करने वाले तथा सरल अनुशासन वाले आधुनिक साधुओं के दल को जन्म दिया, जो बैरागी तथा वैरागिनी कहलाए। ये वैरागी रामानंद के द्वारा प्रचलित वैरागी पंथ के ढंग के थे।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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