नारद बाबा कही वा दिनाँ -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

बाल-माधुरी की झाँकियाँ

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राग भीमपलासी - ताल कहरवा


नारद बाबा कही वा दिनाँ, ब्रज की अति मीठी माटी।
तातैं चाखन कौं मैया ! रसना सौं रही तनिक चाटी॥
सबरे बोलत झूठ, सुनौ, मैं नायँ कबहुँ खा‌ई माटी।
तुहूँ रही पतियाय इनहि, यासौं न बात नैकहुँ काटी॥
मानि लर्ईं तूनैं इनकी नकली बातैं सबरी खाँटी।
यासौं पकरि मोय डरपावति, लै अपने कर में साँटी॥
काँपि रह्यौ डर सौं मैं, तौहू आँखि तरेरि रही डाँटी।
मैया ! तू क्यौं भ‌ई निरद‌ई, कैसें तेरी मति नाठी॥
खोल दऊँँ मुख, देखि अबहिं तू, नैकु कतहुँ जो होय माटी।
का जगात, जब डारि द‌ई मैंने अपनी सबरी छाटी॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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