नाथ हौं निपट निरंकुस नीच -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

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राग आसावरी - तीन ताल

नाथ! हौं निपट निरंकुस नीच।
नरक-कीट मैं पर्‌यौ रहौं नित पाप-तापके कीच॥
करौं भगति की बात मनोहर, भीतर भरे बिकार।
अंतरजामी तुमहू तें मैं करौं कपट-ब्यौहार॥
निज सुभावबस, नाथ दयाकर! पकरि उधारौ हाथ।
पाप-प्रबाह पतित पामर कौं करौ, कृपालु! सनाथ॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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