नागरी स्याम सौ कहति बानी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग गुंड


नागरी स्याम सौ कहति बानी।
सुनहु गिरिधरन बर, सीस-सीषड-धर, जपत सुर नाग नर, सहस बानी।।
रुद्रपति, छुद्रपति, लोकपति, लोकपति, धरनिपति, गगनपति अगम बानी।
अखिल ब्रह्मांडपति, तिहूँ भुवनाधिपति, नीरपति, पवनपति, बेद बानी।।
सिंह कै सरन जबूक की त्रास कह, कृष्नराधा एक जगत बानी।
'सूर' प्रभु स्याम तुव नाम करुनाधाम, करौ मनकाम सुनि दीन बानी।।1947।।

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