नवल किसोर किसोरी जोरी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग बिलावल


नवल किसोर किसोरी जोरी, आवत है रति रँग अनुरागे।
कबहुँ चरन गति डगति लगति छवि, अलस नैन आनंद निसि जागे।।
बानक देखन रीझि रही हौ, अंजन पीक पलटि मुख लागे।
'सूरदास' प्रभु प्यारी राजत, आवत बने मरगजे बागे।।2179।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः