नन्दनन्दन -सुदर्शन सिंह 'चक्र'
51. रंगदेवी-तुलसी-पूजन
मैं भी तुलसी-पूजन करूँगी-नियम से करूँगी, नित्य-नित्य करूँगी। अपनी इस सखी के समान श्रद्धा, सम्यक विधि, तल्लीनता तो कहाँ मुझमें; किंतु जैसी मुझसे बन सकेगी, पूरी सचाई से करूँगी। कल प्रात: से ही प्रारम्भ कर दूँगी। मुझे प्रीति चाहिये- जन्म-जन्म अपनी इस बाबा वृषभानु-नन्दिनी श्रीराधा के पदारविन्दों में पावन प्रीति चाहिये। भगवती वृन्दा अनुकम्पामयी मुझ बालिका पर प्रसन्न होकर इसी के चरणों में मेरी प्रीति सुस्थिर कर दें! |
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