नंद सुनत मुरझाइ गए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग बिलावल



नंद सुनत मुरझाइ गए।
पाती बाँची, सुनी दूत-मुख, यह बानी सुनि चकित भए।
बल मोहन खटकत वाकैं मन, आजु कही यह बात।
कालीदह के फूल कहौ धौं, को आनै, पछितात।
और गोप सब नंद बुलाए, कहत सुनौ यह बात।
सुनहु सूर नृप इहि ढँग आयौ, बल मोहन पर घात।।527।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः