नंद बबा की बात सुनौ हरि।
मोहिं छाँड़ि जौ कहूँ जाहुगे, ल्याऊँगी तुम कौं घरि।।
भली भई तुम्हैं सौंपि गए मोहिं, जान न दैहौं तुमकौं।
बाहँ तुम्हारी नैंकु न छाँड़ौं, महर खीझि हैं हमकौं।।
मेरी बाँह छाँड़ि दै राधा, करत उपरफट बातैं।
सूर स्याम नागर, नागरि सौं, करत प्रेम की घातैं।।681।।