नंद नंदन मधुपुरी बिरमि रहे -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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नंद नँदन मधुपुरी बिरमि रहे, कटहि न माइ ये दिन बिकट।
असन बसन की स्याम सुध्यौ गइ, सीस मंजन बिनु चिकुर चिकट।।
देतिं सँदेसौ पथ निहारति, सगुन बिचारतिं बँधी लिकट।
'सूरदासरु’ प्रभु बेगि मिलौ जू, बोलि लहु कै आवौ निकट।। 155 ।।

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