नंद कह्यौ कह मांगौं स्वामी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


नंद कह्यौ कह माँगौं स्वामी। तुम जानत सब अंतरजामी।।
अष्ट सिद्ध नवनिधि तुम दीन्हौ। कृपा-सिंधु तुम्हरोई कीन्हौ।।
कुसल रहैं बलराम कन्हाई। इनहीं कारन करत पुजाई।।
देवनि के मनि गिरिवर तुम हौ। जहँ-तहँ व्यापक पूरन सम हो।।
तुम हरता तुम करता धर के। देखि थकित नर-नारि नगर के।।
बड़ौ देवता स्याम बतायौ। प्रगट भयौ सब भोजन खायौ।।
सूर स्याम कैं जोइ मन आवै। सोइ सोइ नाना रुप बनावै।।915।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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