नंद-कुमार कहा यह कीन्हौ।
बूझति तुमहिं दान यह लीन्हौं, कैधौं मन हरि लीन्हौं।।
कछू दुराब नहीं हम राख्यौ, निकट तुम्हारैं आई।
एते पर तुमहीं अब जानौ, करनी भली बुराई।।
जो जासौं अंतर नहिं राखै, सो क्यौं अंतर राखै।
सूर स्याम तुम अंतरजामी, बेद उपनिषद भाषै।।1613।।