नंद-कुमार कहा यह कीन्‍हौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग धनाश्री


नंद-कुमार कहा यह कीन्‍हौ।
बूझति तुमहिं दान यह लीन्‍हौं, कैधौं मन हरि लीन्‍हौं।।
कछू दुराब नहीं हम राख्‍यौ, निकट तुम्‍हारैं आई।
एते पर तुमहीं अब जानौ, करनी भली बुराई।।
जो जासौं अंतर नहिं राखै, सो क्‍यौं अंतर राखै।
सूर स्‍याम तुम अंतरजामी, बेद उपनिषद भाषै।।1613।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः