नंद-उदौ सुनि आयौ हो -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग केदारौ


नंद-उदौ सुनि आयौ हो, वृषभानु कौ जगा।
दैबे कौं महर, देत न लावै गहर, लाल की बधाई पाऊँ लाल कौ झगा।
प्रफुलित ह्वै कै आनि, दीनो है जसोदा रानि झीनीयै झुगलि तामैं कंचन-तगा।
नाचै फूल्यौ अंगनाइ, सूर बकसीस पाइ, मा‍थै कै चढाइ लीनौ लाल कौ बगा।।39।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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