धृतराष्ट्र के शोक करने पर कृष्ण द्वारा समझाना

महाभारत स्त्री पर्व में जलप्रदानिक पर्व के अंतर्गत बारहवें अध्याय में धृतराष्ट्र द्वारा भीम के लिए शोक करने पर कृष्ण का उसको समझाना का वर्णन किया है, जो इस प्रकार है[1]-

शोक करने पर कृष्ण का धृतराष्ट्र को समझाना

वैशम्पायन जी कहते हैं- राजन! जब रोष का आवेश दूर हो गया, तब वे महामना नरेश क्रोध छोड़कर शोक में डूब गये और ‘हा भीम! हा भीम! कहते हुए विलाप करने लगे। उन्‍हें भीमसेन के वध की आशंका से पीड़ित और क्रोध-शून्‍य हुआ जान पुरुषोत्तम श्रीकृष्‍ण ने इस प्रकार कहा- ‘महाराज धृतराष्ट्र! आप शोक न करें। ये भीम आपके हाथ से नहीं मारे गये हैं। प्रभो! यह तो लोहे की एक प्रतिमा थी, जिसे आपने चूर-चूर कर डाला।[1]

भरतश्रेष्ठ! आपको क्रोध के वशीभूत हुआ जान मैंने मृत्‍य की दाढों में फँसे हुए कुन्‍तीकुमार भीमसेन को पीछे खींच लिया था। राजसिंह! बल में आपकी समानता करने वाला कोई नहीं है। महाबाहो! आपकी दोनों भुजाओं की पकड़ कौन मनुष्य सह सकता है? जैसे यमराज के पास पहुँचकर कोई भी जीवित नहीं छूट सकता, उसी प्रकार आपकी भुजाओं के बीच में पड़ जाने पर किसी के प्राण नहीं बच सकते। कुरुनन्‍दन! इसलिए आपके पुत्र ने जो भीमसेन की लोहमयी प्रतिमा बनवा रखी थी, वही मैंने आपको भेंट कर दी। राजेन्‍द्र! आपका मन पुत्र शोक से संतप्‍त हो धर्म से विचलित हो गया है; इसीलिये आप भीमसेन को मार डालना चाहते हैं। राजन! आपके लिय यह कदापि उचित न होगा कि आप भीम का वध करें। महाराज! (भीमसेन न मारते तो भी) आपके पुत्र किसी तरह जीवित नहीं रह सकते थे (क्‍योंकि‍‍‍ उनकी आयु पूरी हो चुकी थी)। अत: हम लोगों ने सर्वत्र शान्ति स्‍थापित करने के उद्देश्‍य से जो कुछ किया है, उन सब बातों का आप भी अनुमोदन करें। मन को व्‍यर्थ शोक में न डालें'।[2]


टीका टिप्पणी व संदर्भ

  1. 1.0 1.1 महाभारत स्त्री पर्व अध्याय 12 श्लोक 1-23
  2. महाभारत स्त्री पर्व अध्याय 12 श्लोक 24-30

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महाभारत स्त्री पर्व में उल्लेखित कथाएँ


जलप्रदानिक पर्व

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स्त्रीविलाप पर्व

| गांधारी का कृष्ण के सम्मुख विलाप | दुर्योधन व उसके पास रोती हुई पुत्रवधु को देखकर गांधारी का विलाप | गांधारी का अपने अन्य पुत्रों तथा दु:शासन को देखकर विलाप करना | गांधारी का विकर्ण, दुर्मुख, चित्रसेन तथा दु:सह को देखकर विलाप | गांधारी द्वारा उत्तरा और विराटकुल की स्त्रियों के विलाप का वर्णन | गांधारी द्वारा कर्ण की स्त्री के विलाप का वर्णन | गांधारी का जयद्रथ एवं दु:शला को देखकर कृष्ण के सम्मुख विलाप | भीष्म और द्रोण को देखकर गांधारी का विलाप | भूरिश्रवा के पास उसकी पत्नियों का विलाप | शकुनि को देखकर गांधारी का शोकोद्गार | गांधारी का अन्यान्य वीरों को मरा देखकर शोकातुर होना | गांधारी द्वारा कृष्ण को यदुवंशविनाश विषयक शाप देना

श्राद्ध पर्व

| युधिष्ठिर द्वारा महाभारत युद्ध में मारे गये लोगों की संख्या और गति का वर्णन | युधिष्ठिर की अज्ञा से सबका दाह संस्कार | स्त्री-पुरुषों का अपने मरे हुए सम्बंधियों को जलांजलि देना | कुन्ती द्वारा कर्ण के जन्म का रहस्य प्रकट करना | युधिष्ठिर का कर्ण के लिये शोक प्रकट करते हुए प्रेतकृत्य सम्पन्न करना

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