धनि गोबिंद जो गोकुल आए।
धनि-धनि नंद धन्य निसि-बासर, धनि जसुमति जिन श्रीधर जाए।
धनि-धनि बाल-केलि जमुना-तट, धनि बन सुरभी-वृँद चराए।
धनि यह समौ, धन्य ब्रज-बासी, धनि-धनि बेनु मधुर धुनि गाए।
धनि-धनि अनख, उरहनौ धनि-धनि, धनि माखन, धनि मोहन खाए।
धन्य सूर ऊखल तरु, गोविंद हमहिं हेतु धनि भुजा बँधाए।।384।।