दोउ भैया जेंवत माँ आगैं।
पुनि-पुनि लै दधि - खात कन्हाई, और जननि पै माँगै।
अति मीठौ दधि आजु जमायौ, बलदाऊ तुम लेहु।
देखौ धौं दधि-स्वाद आपु लै, ता पाछैं मोहि देहु।
बल मोहन दोऊ जेंवत रुचि सौं, सुख लूटति नँदरानी।
सूर स्याम अब कहत अघाने, अँचवन माँगत पानी।।442।।