दोउ जन भीजत अटके बातनि -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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दोउ जन भीजत अटके बातनि।
स्यामा स्याम कुंज के द्वारै अंबर लपटे गातनि।।
ललना लाल रूप-रस भीजे बूँद बरावत पातनि।
बरनत ‘सूर’ परसपर प्रीतम मिले प्रेम रस घातनि।। 113 ।।

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